श्री सद्गुरू समर्थ दत्तात्रय गुरु ज्ञान मंदिर गोराई
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सप्तपदी


अ.क्र. व नांव

शिकण्याचे विषय

शारिरीक क्रिया

साधकात दिसणारे गुण

१. शुभवासना

१. विवेक जागृती २. देहाची क्षणभंगुरता
३. कालापव्यय टाळणे ४. षडरिपु  नियमन  
५. संतसंग ६. वैराग्य जागृति
७. नात्यागोत्यांची निरर्थकता

१. संतसंग श्रवणासाठी धावा धाव
२. सद्ग्रंथवाचन

१. अस्थिरता २.चांचल्य
३. संशयी ४. विषयासक्त
५. भित्रा ६. लाजाळु
७. निराश हताश 

२. सुविचारणा अ

अबोध मुमुक्षु 
१. प्रपंच परमार्थ संतुलन राखण्याचा प्रयत्न
२. आत्मज्ञान श्रेष्ठता ३. सद्गुरु श्रेष्ठता
संत सद्गुरु - देव सद्गुरु तुलना

१. संतसंग- श्रवण २. सद्गुरुंचा  शोध
३. सद्गुरु बोधासाठी धडपड तळमळ

१. आर्तता 
२. जिज्ञासु वृत्ती
३. सद्गुरु भेटीची तळमळ

सुविचारणा ब

अबोध मुमुक्षु बोध
१. पंचिकरण विचारद्वारा- सद्गुरु मुखाने
त्वंपदशोधन (पिंडनिरसन) 
२. साधन चतुष्ट्य संपन्नता -
सद्सद्विवेक इहपरभोगाची निरसता
षट्साधन संपन्नता (शम दम तितीक्षा उपरती 
श्रध्दा समाधान) मुमुक्षुता 
३. अंतरंगसाधन प्रारंभ -
श्रवण, मनन, निजध्यास.  

१. विधिवत् (परंपरेप्रमाणे) सद्गुरुस शरण जाणे. 
२. सद्गुरुनी दिलेली साधना (कर्म उपासना) 
कटाक्षाने करणे.

१. श्रध्दाळू
२. साधन तत्पर
३. अदंभी
४. समंजस
५. सहनशील

३. तनुमानसा

१. पंचिकरण द्वारा अहं-मम-
निरसन कर्ता भोक्ताभाव निरसन २. प्रवचन
 (पेाथी) किर्तन (कथा) याचे विविध विषय 
समजून घेणे 

१. पेाथी, कथा, विषयानुरुप काढणे,
२. भजन - अभंग पाठांतर
३. अध्ययन - पठन वाचन, भजन सहभाग 

१. गुरुभक्तीतत्पर
२. शांत समंजस
३. स्थिर बुध्दी
४. धैर्यशाली 
५. उद्योगी

४. सत्वापत्ती

श्रुती षड्लिंग
उपक्रम -उपसंहार, अभ्यास, अपूर्वता, फल, 
अर्थवाद उपपत्ती
श्रवण, मनन निजध्यास (सजातीय स्वीकार, 
विजातीय (अनात्म) त्याग) तत्पदशोधन 
(गुरुमुखाने) प्रबोध ब्रह्मांड उत्पत्ती
असिपद विवरण (गुरुमुखाने निजबोध) लक्षणा 
प्रकार, लक्षणा ग्राह्यता - त्याज्यता
मुक्ती प्रकार
आरंभवाद- परिणामवाद विवर्तवाद
समाधी - सविकल्प-निर्विकल्प, सहज 

१. अंतरंग व बहिरंग साधाना विषयी तत्परता
२. सद्गुरुंच्या मार्गदर्शनाखाली पोथी / कथा 
विषयाला अनुरुप प्रात्यक्षिके
३. विषयाला धरुन लेखन
 ४. अष्टधा प्रकृति मोकळी होणे.

१. निराभिमान
२. शांतचित्त 
३. स्थिर
४. निर्मत्सरी
५. जनसेवा हिच ईश्वरसेवा अशी वृत्ती
६. दृढनिश्चय

५. असंसक्ती 
(ब्रह्मविद्)

१. तिन्ही बोधांची उजळणी
२. नवविधा भक्ती रुप स्वरुप
३. अर्पण भक्ती रुप
४. ऐक्य भक्ती रुप स्वरुप
५. अंतरंग बहिरंग साधने
६. समसाधकांशी / सद्गुरुंशी ज्ञानचर्चा
७. वृत्त्याभ्यास 
८. सद्गुरु वाचन
९. विवर्त सखोल

१. गुरुभक्ती तत्पर
२. पोथी / कथा यासाठी नित्यतयार
३. अनासक्त व्यवहार
४.  अधिक सखोल  निजध्यास

१. विषयभोग अनासक्त
२. समबुध्दी
३. अलिप्त 
४. निर्वैर
५. गुरुभक्ती परायण
६. निस्पृह 
७. दृढवती
८. निर्भय 
९. संतोषी 
१०. निरुपद्रवी
११. काया क्लेशी

६. पदार्थ भावनी 
(ब्रह्मविद्)

१. विवर्त -स्पष्टता 
२. मूलाज्ञान - निरसन
२. सहजस्थिती 
४. ब्राह्मिस्थिती
५. त्रिभेद - पंचभेद निरसन
६. नित्य आनंदरुप परमेश्वराचे अवलोकन 
७.  सविकल्प निर्विकल्प
८. षड्-रिपु दमन

१. अनाकलनीय 
२. लहरी
३. अमनस्क 
४. ब्राह्मिस्थिती
५. अंतस्त्यांगी बहिस्संगी
६. भोगांचा उपयोग युक्तीने करु लागतेा

१. अक्रोधी 
२. वैराग्यवान
३. समाधानी 
४. निष्काम कर्मयोगी  
५. शुभाशुभ फलत्यागी 
६. शांत स्थिर
७. शोकहीन 
८. द्वंद्वातीत
९. युक्तीवान 

७. निर्विकल्प
(तुर्यगा)
(ब्रह्मविद्वरेण्य)

१. सद्गुरुरुप - स्वरुप
२. कैवल्य
३. निर्विकल्प - सहज - नित्य समाधी

१. सद्गुरु कार्यास पूर्णपणे वाहुन घेण
२. परब्रम्ह ब्राह्मिस्थिती

१. जितेंद्रिय, २. लोकप्रिय, 
३. दया - क्षमा - शांती, ४. उदार दाता